स्कूल,महाविद्यालयों तथा व्यक्तिगत शिक्षकों ने विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शैक्षिक नवाचारो की प्रस्तुतियां दी

स्कूल,महाविद्यालयों तथा व्यक्तिगत शिक्षकों ने विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शैक्षिक नवाचारो की प्रस्तुतियां दी


शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य भारत प्रान्त इकाई के द्वारा ग्वालियर में ज्ञानोउत्सव कार्यक्रम का बिगत दिवस आज शिक्षा में नवाचार शीर्षक पर लगभग 50 से अधिक स्कूल,महाविद्यालयों तथा व्यक्तिगत शिक्षकों ने विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शैक्षिक नवाचारो की प्रस्तुतियां दी
उल्लेखनीय है कि उक्त सत्र का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री कप्तान सिंह सोलंकी ,पूर्व राज्यपाल हरियाणा एवं त्रिपुरा तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कैंसर शोध संस्थान के निदेशक डॉ. बी.आर.श्रीवास्तव तथा अन्य विशिष्ट अतिथियो के द्वारा माँ सरस्वती के पूजन से किया गया।
प्रो.श्री कप्तान सिंह सोलंकी जी ने इस अवसर पर बताया के शिक्षक को 3 एच. पर ध्यान देना चाहिए हेड अर्थात बुद्धि ,हार्ट अर्थात आत्मा,हेंड अर्थात हाथ उक्त तीनों के समन्वय से कार्य होगा वह शिक्षा के संवर्धन हेतु मील का पत्थर साबित होगा ।
उन्होंने बताया कि देश की स्वतंत्रता के समय डॉ. सम्पूर्णानन्द जी ने कहा था कि यह स्वतन्त्रता अधूरी है देश को सत्तासीन नेता चलाते है परंतु उनका चयन जनता करती है अतः देश का चरित्र वैसा  होगा जैसे वहाँ के लोग होंगे श्रेष्ठ और चरित्रवान लोग शिक्षा के द्वारा ही बनाये जा सकते है और चरित्रवान व्यक्तियो का निर्माण शिक्षक करता है तथा अच्छे शिक्षक श्रेष्ठ एवं मूल्यवान शिक्षा से ही सम्भव है।
उन्होंने विनोबा भावे को कोड करते हुए बताया कि श्रेष्ठ भारत हेतु श्रेष्ठ मानव का निर्माण करो भारत स्वतः श्रेष्ठ बन जायेगा ।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, इसी उद्देश्य के लिये कार्य कर रहा है और संघठन को शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात रखी ।
 अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. श्रीवास्तव जी ने एक बार की घटना का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार मैने कैंसर शोध संस्थान के निदेशक पद के पी.ए. हेतु विज्ञप्ति निकाली तो एक आवेदक एल.एल. बी.,एम.बी.ए., पी.जी.ड़ी. सी.ए. जैसे कई अन्य उपाधी धारक थे उन्होंने उस आवेदक से कहा कि आप तो हमसे ज्यादा शिक्षित है फिर आप पी.ए. क्यों बनना चाहते है , उन्होंने इस बात को स्पष्ठ करते हुए बताया कि ऐसा इसलिए होता है कि उस व्यक्ति के पास शिक्षा तो थी परंतु कौशल नही था अतः उन्होंने सभी शिक्षकों से शिक्षा के साथ बच्चो में कौशल का विकास करने की बात कही ।
विशिष्ट अतिथि द्वय श्री रविन्द्र कानेड़े एवं श्री अखिलेश पांडे जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये इस अवसर पर मध्य भारत प्रान्त ले लगभग 23 जिलो  के 50 प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी।



कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रेखा भदौरिया जी के द्वारा किया गया इस अवसर पर श्री शोभा ताई पाठनकर, श्री अशोक कड़ेल ,श्री ओम शर्मा जी, डॉ. राजीव पाण्डया, डॉ. राजेन्द्र वैध, प्रो.अशोक चौहान तथा शहर के विभिन्न विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लगभग 200 शिक्षाविद उपस्थित रहे। और उपस्थिति 21 विद्यालयों के सहभागियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर व्यक्त अवधारणाओं से भी परिचित हुए।।